Vrind kavi biography samples
As already suggested in the discussion of Vrind (chapter 4), poetry and alaṅkāraśāstra were beautiful literary arts, but they were also prerequisites—even.
Vrind Kavi () was an Indian Bhakti saint and poet in the Hindi language from Marwar in present day Rajasthan....
हिन्दी के कवि
वृंद
(1643-1723 ई.)
वृंद का जन्म बीकानेर में सेवक जाति के परिवार में हुआ था। इन्होंने काशी में साहित्य तथा दर्शन की शिक्षा प्राप्त की थी। ये पहले औरंगजेब तथा उसके पुत्र अजीमुश्शाह के कृपापात्र रहे, बाद में ये गुसाईंजी के शिष्य हो गए। वृंद के नीति विषयक दोहे बहुत सुंदर हैं तथा गाँवों में भी खूब प्रचलित हैं। इनकी 11 रचनाएँ प्राप्त हैं, जिनमें 'वृंद-सतसई, 'पवन-पचीसी, 'शृंगार-शिक्षा तथा 'हितोपदेश मुख्य हैं। 'वृंद-सतसई इनकी सर्वाधिक प्रसिध्द रचना है, जो नीति साहित्य का शृंगार है।
दोहे
करत-करत अभ्यास ते, जडमति होत सुजान।
रसरी आवत जात तें, सिल पर परत निसान॥
जो पावै अति उच्च पद, ताको पतन निदान।
ज्यौं तपि-तपि मध्यान्ह लौं, अस्तु होतु है भान॥
जो जाको गुन जानही, सो तिहि आदर देत।
कोकिल अंबहि लेत है, काग निबौरी लेत॥
उत्तम विद्या लीजिए, जदपि नीच पै होय।
परयो अपावन ठौर में, कंचन तजप न कोय॥
मनभावन के मिलन के, सुख को नहिंन छोर।
बोलि उठै, नचि नचि उठै, मोर सुनत घन घोर॥
सरसुति के भंडार की, बडी अपूरब बात।
ज्यौं खरचै त्यौं-त्यौं बढै, बिन खरचे घटि जात॥
निरस बात सोई सरस, जहाँ